Welcome

YOU ARE WELCOME TO RASHTRAHIT BLOG
PLEASE VISIT UPTO END OF THE BLOG

Thursday, April 2, 2015

सद्ग्रन्थ इसलिए नहीं होते कि इनके ऊपर एक सुन्दर-सा रेशम का कपड़ा ढ़ककर केवल इनके आगे हाथ जोड़ लिए जाएं, बल्कि इनके भीतर जो शब्द हैं अगर वे आपके मस्तिष्क में स्थापित हो गए तो वे आपको इस तरह महकाएँगे जैसे किसी किताब के अंदर रखे सुगंधित फूल कुछ दिनों बाद पन्ने पलटने पर खुशबू देते हैं।

No comments:

Post a Comment